लोकतंत्र का महायज्ञ- चुनाव
रचयित्री - स्तुति राजीव
#PowerOf1Vote #SVEEP
सैकड़ों वर्षों की गुलामी के चलते भारतीय स्वप्न देखते थे स्वतंत्रता और स्वराज का। अनेकों अथक प्रयासों और अनगिनत बलिदानों के बाद जब हमें अधिकार मिले, तो लोकतंत्र के दौर में जन्में अधिकतर लोग इन अधिकारों को बहुत साधारण समझने लगे हैं।
हमें नहीं भूलना चाहिए की सद्भाग्य से यह अधिकार भले ही हमें थाली में परोस कर दे दिए गए हों, परन्तु अनेकों लोग ऐसे भी हुए जो अपना सम्पूर्ण जीवन भी न्योछावर कर के स्वराज न देख सके।
अतः एक लोकतान्त्रिक गणतंत्र का वासी होने के नाते अपने विभिन्न अधिकारों व कर्तव्यों के महत्व को अवश्य समझें।
लोकतंत्र का महायज्ञ प्रारंभ होने को है और मैं स्तुति राजीव इसके चलते सभी मतदाताओं का आह्वान अपनी कुछ पंक्तियों द्वारा करना चाहूंगी।
लोकतंत्र का महायज्ञ- चुनाव
गुलामी के उस दौर में,
जब स्वराज की ठानी थी।
लोकतंत्र की पुकार में,
आवाज़ें उठी हिंदुस्तानी थीं॥
तुम प्रजातंत्र में जन्मे हो!
स्मरण करो उस संघर्ष का।
स्वाधीनता के साथ जो आया,
करो स्मरण कर्तव्य का॥
राष्ट्रहित के लिए बंधुओं,
जनप्रतिनिधि तुम्हें चुनना है।
भारत के उन्नति मुकुट पर,
एक और पंख बुनना है॥
लोकतंत्र के महायज्ञ में,
मतदान तुम्हारा दायित्व है।
हे विशालतम गणतंत्र के वासी,
मत से ही तुम्हारा अस्तित्व है॥
यदि आपको कविता पसंद आई है, तो कृपया ब्लॉग का अनुसरण करना न भूलें और नीचे टिप्पणी में अपनी समीक्षा दें।
This poem is on YouTube |
स्टेयर्स पर आने के लिए धन्यवाद ।