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Saturday, October 9, 2021

विवरण एवं कविता - स्वर्णिम विजय गाथा (1971 War Story) -Staires by Stuti Rajeev

स्वर्णिम विजय गाथा

         1971 भारत-पाक युद्ध कि पूरी गाथा एक कविता में              
रचयित्री - स्तुति राजीव 
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1971 के भारत-पाक युद्ध में स्वर्णिम विजय पायी थी भारत की सेना ने। उनके शौर्य के यूँ तो अनेकों किस्से हैं, पर यह गाथा अभूतपूर्व है, क्योंकि सेना ने इस युद्ध में शत्रु को परास्त कर आज-तक का सबसे बड़ा आत्म-समर्पण कराया था। 93000 पाकिस्तानी सैनिकों का समर्पण देख, संपूर्ण विश्व ने भारत के वीरों का लोहा माना था।
1971 India-Pakistan War, full story in poem

यह कविता YouTube पर भी उपलब्ध है |

क्या हुआ था 1971 में?

पश्चिमी-पाकिस्तान, पूर्वी-पाकिस्तान (अब बांग्लादेश ) के लोगों के साथ पशुओं जैसा व्यव्हार कर रहा था। शेख मुजीबुर रेहमान के नेतृत्व में पूर्वी-पाकिस्तान ने मुक्ति-वाहिनी-सेना बना कर विरोध शुरू कर दिया। भारत ने भी निर्णय किया कि वह पूर्वी-पाकिस्तान कि सहायता करेगा, और मुक्ति-वाहिनी-सेना की मदद करी जाने लगी। राजस्थान के लोंगेवाला में केवल 120 जवानों की तैनाती जानकर, पाक-ब्रिगेडिएर तरीक मीर ने 2800 से अधिक की सेना के साथ रात को टैंकों से हमला कर दिया। भारतीय मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी जी ने अपने 120 जवानों के साथ मिल, उन हज़ारों को मार-भगाया। भारत के विशाल जहाज INS विक्रांत को डुबोने आयी पनडुब्बी PNS गाज़ी ( अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी गयी थी ) को भी INS राजपूत जहाज ने ध्वस्त कर दिया, जो कि विशाखापटनम में ख़राब इंजन के साथ खड़ा था। 

13 दिन चले इस युद्ध के बाद 16 दिसंबर 1971 को पाक-जनरल नियाजी ने अपनी सेना के साथ पराजय स्वीकार आत्मसमर्पण करने में ही अपना हित समझा। इस प्रकार भारत ने बंगलादेश को स्वतंत्रता दिलाई।

जय हिन्द !! जय हिन्द कि सेना !! 

1971 की सम्पूर्ण गाथा सुनाती, स्तुति राजीव की यह कविता पढ़ें- 

स्वर्णिम विजय गाथा

स्वर्णिम विजय गान यह, 

जहाँ त्याग विद्द्यमान है।

इकहत्तर की है गाथा यह,

यह वीरों का बलिदान है॥


पाकिस्तान में गृहयुद्ध हुआ,

पश्चिम ने पूरब को श्मशान किया।

मानवता हुई लज्जित,

मानो नैतिकता ही वर्जित।।


 एक देह के हैं दो अंग,

कैसे देखे भारत जिस ढंग,

वो मर्यादा भंग कर रहे।

क्यों अपनों के प्राण हर रहे?

 

भारत ने भी ठान लिया,

युद्ध ही विकल्प मान लिया।

करी सहायता मुक्ति वाहिनी की,

भूमिका प्राणदायिनी की।।

 

जलसेना हुई तत्पर,

वायुसेना स्वयं नभचर।

थल बल भी तैयार हुआ,

चहुंओर से विचार हुआ।।

 

सेना का एक बड़ा भाग,

चला कटिबद्ध पूर्व मार्ग।

पश्चिम में शक्तिहीन मान,

करा आक्रमण पाकिस्तान।।

 

बाल न बांका कर पाये,

तो पाक सेना खीझ गयी।

यही खीझ सेनाओं में,

युद्धाग्नि बीज भयी।।

 

लोंगेवाला में 120 जवान,

कुलदीप सिंह के हाथ कमान।

2800 की फौज लिये तारीकमीर,

विकट स्थिति विपरीत समीर।।

 

चिड़िया नाल मैं बाज लड़ावाँ,

गिदरा नूं मैं शेर बनावाँ।

सवा लाख से एक लड़ाऊँ,

तब गोविंद सिंह नाम कहाऊँ।।

 

कुलदीप सिंह ने करी प्रतिज्ञा,

न हो अब रण की अवज्ञा।

जब मनस्वी मेजर, कुशाग्रबुद्धि,

सुनिश्चित है वतन की सिद्धि।।

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तीन माइन से प्रथम प्रहार,

फिर भ्रमित करेंगी डब्बों की कतार।

चांदपुरी का यही विचार,

हो दुश्मन के दिमाग पर वार।।

 

दागे टैंक पर टैंक,

आग चीर गयी सारा अंधकार।

रात्रि में सूर्य उगाया,

मच गया पाक में हाहाकार।।

 

डब्बों को माइन समझ,

सेना उनकी ठहर गयी।

उनको मार्ग बनाने में,

बीती रात अब सहर भयी।।

 

इतने समय में मेजर ने,

120 शेर फैला दिये।

ऐसा व्यूह रचाया कि,

हजारों को दहला दिये।।

 

मेजर चांदपुरी की सूझबूझ ने,

युद्ध सुबह तक खींच दिया।

फिर वायुसेना के विमानों ने,

लोंगेवाला लहू से सींच दिया।।

 

थल और वायु सेना की प्रचंड अगुवाई,

नौसेना भी कराची में कोहराम मचाई।

लगी आग ऐसी कि बुझ न पाई,

छोड़ कराची ग्वादर जा जान बचाई।।

 

आत्मरक्षा करी है अब तक,

युद्ध होना अभी शेष है।

अब पूरब की ओर चलो,

यह समर और विशेष है।।

 

पाक चटगांव का बंदरगाह,

INS विक्रांत ने किया तबाह।

एक युक्ति पर हुये वह राजी,

सोंचा विक्रांत नाश करेगा गाज़ी।।

 

गाज़ी का उत्तर है राजपूत,

विशाखापट्टनम में शत्रु मृत्युदूत।

माहौल ऐसा पट्टनम में बनाया,

लगा जैसे विक्रांत ही आया।।

 

पनडुब्बी गाज़ी भी घूम गई,

विक्रांत गिराने के स्वप्न में झूम गई।

राजपूत ने किया प्रहार,

शत्रु अस्तित्व हुआ तार-तार।।

 

अमेरिका देख न पाया गाज़ी की हार,

करी सुरक्षा परिषद में गुहार।

रूस ने निभाई मित्रता हर बार,

किया भारत विरोध से इनकार।।

 

अमेरिका सातवाँ बेड़ा ले आया,

रूस ने भी चालीसवाँ चढ़ाया,

ब्रिटेन ने जब ईगल लाई,

रूस ने परमाणु शक्ति दिखाई।।

 

अब करना था आर या पार,

5000 वायुछत्र दिये उतार।

निर्मलजीत का एक यही दाँव,

डुबो गया पाक की नाव।।

 

राज्यपाल निवास पर हमला,

पाक फिर कहीं न संभला।

93000 हुये आत्मसमर्पित,

गिनीज़ में नाम आज भी अंकित।।

 

इतिहास का सबसे बड़ा समर्पण,

भारत माँ के पग में अर्पण।

बांग्लादेश को मिला अस्तित्व,

शेख रहमान ने किया प्रतिनिधित्व।।

 

जो भूमि पर स्वर्णिम विजय लिख गये,

उन बलिदानी वैरागियों को।

वीर योद्धा त्यागीयों को,

नमन है कर्मपथ अनुरागियों को।।


 जय हिन्द !! जय हिन्द कि सेना !! 

1971 Bharat Pakistan War -Poem


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-  स्तुति राजीव

Friday, September 24, 2021

निबंध एवं कविता - झूँठा इतिहास -Staires by Stuti Rajeev

झूँठा इतिहास

Itihaas ke jhooth

भारत ने परतंत्रता के 700 वर्ष देखे हैं। इन वर्षों में जितने भी आक्रमणकारी यहाँ आये, सभी ने यहाँ के लोगों का गौरव नष्ट कर यहाँ राज किया। 

भारत के लोगों का गर्व यहाँ का महान, अद्वितीय और गौरवशाली इतिहास था, उसने ही यहाँ के लोगों को एक डोर में बाँध रखा था। इस ही एकता और समानता की भावना को नष्ट करने के प्रयास में, हमें हमारे इतिहास के सत्य से दूर किया गया। 

फूट डालकर राज करने की नीति के विषय में तो अपने सुना ही होगा? 

यह नीति सिर्फ अंग्रेज़ों ने ही नहीं अपनाई थी !! उनसे पहले आये आक्रमणकारियों ने भी, इतिहास के साक्ष्य मिटा, हमारे इतिहास को कल्पना बताया, लोगों का उसपर से विश्वास उठा दिया, और इस तरह जिस डोर में भारतवासी बंधे थे, वह टूट गयी, और लोग आपस में ही बँट गए। लोगों में एकता न होने के कारण यहाँ जो हुआ उससे आप अवगत ही हैं।

यह तो हो गयी वह बात जो हो चुकी, अब प्रश्न यह है कि, अब क्या करना है?

  1. पहले तो हमें यह जानना होगा कि ऐसी कौन-कौन सी बातें हैं जो हमें हमारे इतिहास के बारे में हमारी किताबों में नहीं पढाई गईं? झूठ एक किताब में लिखा जा सकता है, परन्तु सत्य के पदचिन्ह कहीं न कहीं तो मिल ही जातें हैं। यह जानना इसलिए आवश्यक है क्योंकि, हमारा महान इतिहास ही हमारा प्रेरणाश्रोत है, वही हम सबको एक दूसरे से जोड़ता है। 
  2. दूसरा हमें समाज में भी इस विषय पर जागरूकता लानी होगी।

यदि इतिहास के कुछ असत्यों की बात करें तो वे निम्न हैं-

  1. राजा विक्रमादित्य भारतवर्ष के एक महान शाशक थे जिनकी ख्याति दूर-दूर तक थी ( विक्रम संवत नामक कैलेंडर, का प्रचलन उनहोंने ही शुरू किया था )। वे इस भूमि की शक्ति का प्रतीक थे इसलिए, तुर्कों ने अपने राज में जब इतिहास लिखवाया तो उनका नाम ही गायब कर दिया।
  2. महान योद्धा शिवाजी महाराज को कुछ समय पूर्व तक लुटेरा कहा गया था पन्नों में, परन्तु अब कुछ इतिहासकारों और लोगों के कारण अब इसमें परिवर्तन किया गया है। लेकिन अब भी हमें कहीं नहीं पढ़ाया जाता उनके कार्यों के बारे में। वे ही थे जिसने गोरिल्ला युद्ध नीति की खोज की थी। 
  3. यूनानी इतिहासकारों नें भी "महान" सिकंदर, आर्य-आक्रमण, राजा पुरु (पोरस) की सिकंदर द्वारा पराजय, चन्द्रगुप्त मौर्या का यूनानी होना; ऐसे कई असत्य हमारे इतिहास में लिख दिए, जिससे वे अपने राजा सिकंदर की हार को छुपा सकें और आर्य-द्रविड़ के नाम पर लोगों में फूट डाल सकें। यदि आप खोज करें तो पाएंगे कि आर्य आक्रमण  जैसा तो कुछ हुआ ही नहीं।
  4. महाभारत, रामायण, जल-प्रलय कथा के मनु यह ऐसी ऐतिहासिक चीज़ें हैं जिनपर पूरा भारत एकमत था, इसलिए इन्हें "माइथोलॉजी" कह, इनसे दूर कर लोगों को एक-दूसरे से दूर किया गया।
  5. महान सिख साम्राज्य, जिसने कई-कई बार तुर्कों को भगा दिया था, उसके बारे में हमें नहीं बताया गया।
  6. अंग्रेज़ों नें ऐसी शिक्षा नीति "एजुकेशन पॉलिसी" बनाई जिससे यहाँ के लोग अपनी संस्कृति को पिछड़ा और अविकसित समझें, उसका अनुसरण न करें, इस प्रकार "वेस्टर्न" संस्कृति की ओर आकर्षित हो अपनी जड़ों से दूर हो जाएं। इस पॉलिसी का परिणाम आज हमारे सामने है।

ऐसे अनेकों और भी विषय हैं, जिनके बारे में जानना अतिआवश्यक है।
उनमें से कुछ को जागरूकता का आह्वान करते हुए स्तुति राजीव ने पंक्तियों में पिरोया है।

कायरों ने लिख इतिहास झूँठा,

हमारे समाज को तोड़ा है।

जिन बातों का कोई तुक नहीं,

ऐसे असत्य से हमको जोड़ा है।।


गोरिल्ला युद्ध के खोजकर्ता,

शिवाजी को लुटेरा बता गये।

गौरव नष्ट करने के लिये,

हमारा इतिहास ही मिटा गये।।


राजा विक्रमादित्य को भी,

इतिहास से काटना षड़यंत्र था।

तुर्कों को महान बतलाकर,

सत्ता में आना उनका मंत्र था।।


प्रश्न उनसे, जो जल प्रलय कथा में,

मनु को मित्थ्या कहते हैं।

क्यों मिस्र, यूनान, दक्षिण अमरीका,

की गाथाओं में भी मनु रहते हैं?


इतिहास में झूँठ गढ़ने में 

बहुतों का योगदान है।

गरीब व अविकसित पहले थे,

यह भी हमारा ही अज्ञान है।।


फूट डालकर राज किया,

गुलामी हमपर बीती थी।

क्योंकि धर्म से विमुख कर, 

जातियों में बाँटना उनकी राजनीति थी।। 


अरे इसकी क्या बात कहूं?

यह खेल तो आज भी चलता है।

पर भारत का बच्चा नहीं जानता,

सच्ची कथा यह खलता है।।


वो जान गये थे हमारी एकता का,

रहस्य यहाँ के धर्म–ग्रन्थ हैं।

एक-एक कर सबको "माइथोलॉजी" कहा,

अब किताबों में हम सिर्फ परतन्त्र हैं।।

Jhootha Itihaas Kavita
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इस भूमि के वासियों को,

आर्य-द्रविण में भेदना भी चाल थी।

तोड़ दिया चालाकी से,

जो एकता हमारी ढाल थी।।


हमारे अतीत के पाठों में,

न जाने किसकी किसकी गाथा है।

भारत के योद्धाओं को छोड़,

उनमें सबका इतिहास आता है।।


शेर को पिंजरे में रखा जाये तो,

शिकार करना भूल जाता है।

हम भी अपना गौरव भूल गये,

समझो दोनों बातों में क्या नाता है।।


शताब्दियों की गुलामी ने,

गर्व के साक्ष्य नष्ट किये।

मासूम भारतीय उन बातों में आ, 

पूर्वज भूलकर पथ-भ्रष्ट हुये।।


रामायण और महाभारत को भी,

उन्होंने काल्पनिक बोला था।

अरे स्मरण कराओ नाम ज़रा,

किसने पानी पर पत्थर तोला था।।


मित्थ्या के इस कुचक्र ने,

न जाने कितने प्रपंच किये।

तेल खोजते समय समुद्र ने,

द्वारिका के भी अंश दिये।।


भारत को भ्रमित बताकर वे,

वास्को-डि-गामा को खोजकर्ता लिख गये।

देश के गद्दार थे वह जो,

चन्द टुकड़ों पर ही बिक गये।।


भारत को पराजित लिखा है,

कायर सिकंदर को विश्वविजेता बता।

यूनान के लेखकों ने पुरु को,

वीरता के पन्नों से दिया हटा।।


यूनानी लेखकों ने तो,

चन्द्रगुप्त के नाम भी खेल-खेले हैं।

उनके लिखे इस इतिहास में 

और भी झूठ के मेले हैं।।


एक छुपाने के लिये दूसरा असत्य,

कड़ियों पर कड़ियाँ बिछा गये।

इतने से भी मय न भरा तब,

भारत को साहित्यहीन ही लिखा गये।।


कभी पढ़ा क्या किसी पाठ में,

सिख साम्राज्य के बारे में?

धूल चटाई कई-कई बार,

उन लुटेरों को अपने द्वारे में।।


हे महान आर्यावर्त की प्रजा,

अपनी संस्कृति पहचानो तुम।

तुम्हारा देश अविकसित नहीं,

यह सत्य भी जानो तुम।।


भारतीय इतिहास का,

पुनर्लेखन अनिवार्य है।

संसार भी पढ़े वह इतिहास,

जहाँ हर वासी सच्चा आर्य है।।

हम सभी का एक जागरूक देशवासी होने के नाते यह कर्तव्य है कि, समाज के मन बैठे अज्ञान के अन्धकार को दूर कर हम जागरूकता लाएं।

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-  स्तुति राजीव


Monday, August 2, 2021

Shiv and Sawan -Staires by Stuti Rajeev

 Shiv and Sawan

An auspicious month that fills hearts with peace and minds with joy. It is superior among all the months. The reason behind everyone’s extreme jubilations in Sawan is the pleasant weather after long, scorching summers.

Shiv and Sawan


What is Sawan?

  • Sawan is not simply a month, it is an emotion and a blessing. The emotion of every living being. And almighty’s blessings to earth.
  •  Sawan is when rain quenches the thirst of brown earth turning it into a green blanket, which gives a soothing touch to every eye.
  •  Sawan is the answer to every questioning eye which looks towards the sky with hope throughout summers.
  •  Sawan is nature's lesson for every living being. It teaches us that tough-time can be long, but it is not everlasting. There is a bright sun-shine after every dark night. We must never lose hope in life.

Shiv Shankar article

How Sanatan Sanskriti (Eternal set of duties) defines Sawan?

Sanatan Sanskriti relates Sawan with lord Shiva. It is believed that Sawan is Shiva’s favorite month, and he is omnipresent. Hence, like every other living being, Sawan is special for Shiva also.

Lord Shiva is a symbol of anadi power, which means he has neither begun anywhere nor ended. Shiva’s power is symbolized by different things associated with him………

Shiva’s Symbols

  1. Ganga on Shiva’s head symbolizes a stream of spirituality. A spiritual person can easily get rid of different negativities in life such as wrath, lust, greed, anger, attachment, ego, etc. By being spiritual one can get to know the purpose of one’s life. Spirituality gives positive vibes and meaning to life, which is very important for every human being.
  2. Moon on Shiva’s head signifies stability of mind. It teaches us that our thoughts should be stable in the different ups and downs of life.
  3. Shiva’s third eye on his forehead symbolizes the power which everyone should have to destroy evil and ignorance respectively.
  4. Shiva’s trishool (a weapon with three sharp ends, prong ) signifies three powers. Power of knowledge, power of desire, and power of completeness. We can get, what we desire with knowledge and can ultimately feel the power of completeness. But the knowledge should be complete and true.
    Traits of Shiv

  5. Snake around Shiva’s neck teaches us that our ego and attitude should be in our control. We can get endless examples where we see that, whenever vanity accompanies strength, complete ruination occurs. We must make sure that after achieving anything or everything in life, our happiness should never be replaced with haughtiness.
  6. Rudraksha: Lord Shiva wears rudraksha seeds. It has lots of scientific importance. Keeping rudraksha near the body is good for health. It is antibacterial, its dielectric gives a positive attitude. Shiva’s rudraksha symbolizes purity and righteousness.
  7. Shiva’s Baghambar (Cloth made up of tiger’s skin) is a symbol of bravery, boldness, and confidence in life.
  8. Shiva's divine bull Nandi is the symbol of true and unconditional devotion towards the lord.

All these traits make an ideal person.

Sawan is ideal for months and teaches us to improve ourselves by following Lord Shiva.

Happy Sawan.\

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Sunday, July 25, 2021

Relevance of digital education in pandemic -Staires by Stuti Rajeev

Theme: COVID 19 and teaching-learning process

Article on-

“Relevance of digital education in a pandemic”

- By Stuti Rajeev


 An unparalleled, excruciating epizootic COVID 19 came up with long-term closures. Like other fields, this closure became a problem for the education system also. Then digital education eventuated as a boon and took forward schooling along with safety. Life of kids as well as of youth is embedded with modern gadgets and the internet, which became their weapon against this unheard-of pandemic, to keep their studies unhindered.

Digital education provides multiple ways of interaction between mentors and learners, they can express themselves through video calls, voice chats, and messages. Digital education provides variety, world-class teaching, multiple educators instead of confining in few teachers and institutions.

Every coin has two faces, likewise, this digital world has a few disadvantages also. Being stuck to gadgets is harming the health of students. Digital education is helpful only in the case where a student genuinely wants to learn, as here a teacher cannot physically check whether a student is studying or not. Online exams are not that promising as access to each and every answer is a task of a couple of seconds on the internet. Every family is not that strong financially, to provide their children internet and gadgets. Internet quality is not up to the mark everywhere across the world, which is a must for online studies.

It can be concluded that the role of digital education was very significant with no second option in a devastating period of COVID-19, but keeping education fully digital further would not be a good option.

We can look forward to a bright future of education system taking online and offline teachings parallel, and using the one which is most suitable at the point. As changes are a must for the modern century to explore and innovate.

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Stuti Rajeev