स्वर्णिम विजय गाथा
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क्या हुआ था 1971 में?
पश्चिमी-पाकिस्तान, पूर्वी-पाकिस्तान (अब बांग्लादेश ) के लोगों के साथ पशुओं जैसा व्यव्हार कर रहा था। शेख मुजीबुर रेहमान के नेतृत्व में पूर्वी-पाकिस्तान ने मुक्ति-वाहिनी-सेना बना कर विरोध शुरू कर दिया। भारत ने भी निर्णय किया कि वह पूर्वी-पाकिस्तान कि सहायता करेगा, और मुक्ति-वाहिनी-सेना की मदद करी जाने लगी। राजस्थान के लोंगेवाला में केवल 120 जवानों की तैनाती जानकर, पाक-ब्रिगेडिएर तरीक मीर ने 2800 से अधिक की सेना के साथ रात को टैंकों से हमला कर दिया। भारतीय मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी जी ने अपने 120 जवानों के साथ मिल, उन हज़ारों को मार-भगाया। भारत के विशाल जहाज INS विक्रांत को डुबोने आयी पनडुब्बी PNS गाज़ी ( अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी गयी थी ) को भी INS राजपूत जहाज ने ध्वस्त कर दिया, जो कि विशाखापटनम में ख़राब इंजन के साथ खड़ा था।
13 दिन चले इस युद्ध के बाद 16 दिसंबर 1971 को पाक-जनरल नियाजी ने अपनी सेना के साथ पराजय स्वीकार आत्मसमर्पण करने में ही अपना हित समझा। इस प्रकार भारत ने बंगलादेश को स्वतंत्रता दिलाई।
जय हिन्द !! जय हिन्द कि सेना !!
1971 की सम्पूर्ण गाथा सुनाती, स्तुति राजीव की यह कविता पढ़ें-
स्वर्णिम विजय गाथा
स्वर्णिम विजय गान यह,
जहाँ त्याग विद्द्यमान है।
इकहत्तर की है गाथा यह,
यह वीरों का बलिदान है॥
पाकिस्तान में गृहयुद्ध हुआ,
पश्चिम ने पूरब को श्मशान किया।
मानवता हुई लज्जित,
मानो नैतिकता ही वर्जित।।
एक देह के हैं दो अंग,
कैसे देखे भारत जिस ढंग,
वो मर्यादा भंग कर रहे।
क्यों अपनों के प्राण हर रहे?
भारत ने भी ठान लिया,
युद्ध ही विकल्प मान लिया।
करी सहायता मुक्ति वाहिनी की,
भूमिका प्राणदायिनी की।।
जलसेना हुई तत्पर,
वायुसेना स्वयं नभचर।
थल बल भी तैयार हुआ,
चहुंओर से विचार हुआ।।
सेना का एक बड़ा भाग,
चला कटिबद्ध पूर्व मार्ग।
पश्चिम में शक्तिहीन मान,
करा आक्रमण पाकिस्तान।।
बाल न बांका कर पाये,
तो पाक सेना खीझ गयी।
यही खीझ सेनाओं में,
युद्धाग्नि बीज भयी।।
लोंगेवाला में 120 जवान,
कुलदीप सिंह के हाथ कमान।
2800 की फौज लिये तारीकमीर,
विकट स्थिति विपरीत समीर।।
चिड़िया नाल मैं बाज लड़ावाँ,
गिदरा नूं मैं शेर बनावाँ।
सवा लाख से एक लड़ाऊँ,
तब गोविंद सिंह नाम कहाऊँ।।
कुलदीप सिंह ने करी प्रतिज्ञा,
न हो अब रण की अवज्ञा।
जब मनस्वी मेजर, कुशाग्रबुद्धि,
सुनिश्चित है वतन की सिद्धि।।
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तीन माइन से प्रथम प्रहार,
फिर भ्रमित करेंगी डब्बों की कतार।
चांदपुरी का यही विचार,
हो दुश्मन के दिमाग पर वार।।
दागे टैंक पर टैंक,
आग चीर गयी सारा अंधकार।
रात्रि में सूर्य उगाया,
मच गया पाक में हाहाकार।।
डब्बों को माइन समझ,
सेना उनकी ठहर गयी।
उनको मार्ग बनाने में,
बीती रात अब सहर भयी।।
इतने समय में मेजर ने,
120 शेर फैला दिये।
ऐसा व्यूह रचाया कि,
हजारों को दहला दिये।।
मेजर चांदपुरी की सूझबूझ ने,
युद्ध सुबह तक खींच दिया।
फिर वायुसेना के विमानों ने,
लोंगेवाला लहू से सींच दिया।।
थल और वायु सेना की प्रचंड अगुवाई,
नौसेना भी कराची में कोहराम मचाई।
लगी आग ऐसी कि बुझ न पाई,
छोड़ कराची ग्वादर जा जान बचाई।।
आत्मरक्षा करी है अब तक,
युद्ध होना अभी शेष है।
अब पूरब की ओर चलो,
यह समर और विशेष है।।
पाक चटगांव का बंदरगाह,
INS विक्रांत ने किया तबाह।
एक युक्ति पर हुये वह राजी,
सोंचा विक्रांत नाश करेगा गाज़ी।।
गाज़ी का उत्तर है राजपूत,
विशाखापट्टनम में शत्रु मृत्युदूत।
माहौल ऐसा पट्टनम में बनाया,
लगा जैसे विक्रांत ही आया।।
पनडुब्बी गाज़ी भी घूम गई,
विक्रांत गिराने के स्वप्न में झूम गई।
राजपूत ने किया प्रहार,
शत्रु अस्तित्व हुआ तार-तार।।
अमेरिका देख न पाया गाज़ी की हार,
करी सुरक्षा परिषद में गुहार।
रूस ने निभाई मित्रता हर बार,
किया भारत विरोध से इनकार।।
अमेरिका सातवाँ बेड़ा ले आया,
रूस ने भी चालीसवाँ चढ़ाया,
ब्रिटेन ने जब ईगल लाई,
रूस ने परमाणु शक्ति दिखाई।।
अब करना था आर या पार,
5000 वायुछत्र दिये उतार।
निर्मलजीत का एक यही दाँव,
डुबो गया पाक की नाव।।
राज्यपाल निवास पर हमला,
पाक फिर कहीं न संभला।
93000 हुये आत्मसमर्पित,
गिनीज़ में नाम आज भी अंकित।।
इतिहास का सबसे बड़ा समर्पण,
भारत माँ के पग में अर्पण।
बांग्लादेश को मिला अस्तित्व,
शेख रहमान ने किया प्रतिनिधित्व।।
जो भूमि पर स्वर्णिम विजय लिख गये,
उन बलिदानी वैरागियों को।
वीर योद्धा त्यागीयों को,
नमन है कर्मपथ अनुरागियों को।।
जय हिन्द !! जय हिन्द कि सेना !!
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स्टेयर्स पर आने के लिए धन्यवाद ।
Good one yrr 🙌💥
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