Tuesday, February 1, 2022

लोकतंत्र का महायज्ञ -चुनाव -Staires by Stuti Rajeev

लोकतंत्र का महायज्ञ- चुनाव

रचयित्री - स्तुति राजीव 


#PowerOf1Vote #SVEEP

Voters' Awareness Poem in Hindi, Slogan

सैकड़ों वर्षों की गुलामी के चलते भारतीय स्वप्न देखते थे स्वतंत्रता और स्वराज का। अनेकों अथक प्रयासों और अनगिनत बलिदानों के बाद जब हमें अधिकार मिले, तो लोकतंत्र के दौर में जन्में अधिकतर लोग इन अधिकारों को बहुत साधारण समझने लगे हैं। 

हमें नहीं भूलना चाहिए की सद्भाग्य से यह अधिकार भले ही हमें थाली में परोस कर दे दिए गए हों, परन्तु अनेकों लोग ऐसे भी हुए जो अपना सम्पूर्ण जीवन भी न्योछावर कर के स्वराज न देख सके। 

अतः एक लोकतान्त्रिक गणतंत्र का वासी होने के नाते अपने विभिन्न अधिकारों व कर्तव्यों के महत्व को अवश्य समझें।

लोकतंत्र का महायज्ञ प्रारंभ होने को है और मैं स्तुति राजीव इसके चलते सभी मतदाताओं का आह्वान अपनी कुछ पंक्तियों द्वारा करना चाहूंगी।

लोकतंत्र का महायज्ञ- चुनाव

गुलामी के उस दौर में,

जब स्वराज की ठानी थी।

लोकतंत्र की पुकार में,

आवाज़ें उठी हिंदुस्तानी थीं॥


तुम प्रजातंत्र में जन्मे हो!

स्मरण करो उस संघर्ष का।

स्वाधीनता के साथ जो आया,

करो स्मरण कर्तव्य का॥


राष्ट्रहित के लिए बंधुओं,

जनप्रतिनिधि तुम्हें चुनना है।

भारत के उन्नति मुकुट पर,

एक और पंख बुनना है॥


लोकतंत्र के महायज्ञ में,

मतदान तुम्हारा दायित्व है।

हे विशालतम गणतंत्र के वासी,

मत से ही तुम्हारा अस्तित्व है॥

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-  स्तुति राजीव

Friday, January 28, 2022

कविता- उत्तर प्रदेश -Staires by Stuti Rajeev

उत्तर प्रदेश

रचयित्री - स्तुति राजीव 

उत्तर प्रदेश, जिसे भारत का सार कहा जाता है।
4000 वर्षों से भी अधिक के भव्य इतिहास से सजा उत्तर प्रदेश भारतीय संस्कृति का, भारतीयता का केंद्र है।
विश्व को गीता, महाभारत व रामायण जैसे उत्तम उपहार देने वाली भूमि, को कुछ पंक्तियों में संजोने का प्रयास है, स्तुति राजीव की यह कविता ।
Speciality of Uttar Pradesh -Poetry

उत्तर प्रदेश

पूरब में काशी के घाटों का पूर्वांचल हो, 

या पश्चिम में श्रीकृष्ण की ब्रज भूमि का आँचल हो। 

उत्तर का अद्वितीय प्राकर्तिक सौंदर्य हो,

या दक्षिण में बुंदेलखंड के वीरों का शौर्य हो।

उत्तर प्रदेश के ह्रदय में बसी अयोध्या हो, 

या भोर का सूर्य अर्घ और बनारस की संध्या हो।

बात हो हम लखनऊ वालों की नज़ाकत की, 

कनपुरिया मिज़ाज और पान के आदत की।

मथुरा की मनमोहक कृष्ण रासलीला हो,

या विश्व भर में प्रसिद्ध यहाँ की रामलीला हो।

हम वह हैं जो हर कोस पर पानी, 

और हर ढाई को कोस पर बोली बदल लेते हैं।

इतनी विविधता में भी हम साथ होली खेल लेते हैं,

यूं ही थोड़ी ना हमें भारत का मेल कहते हैं।।2


उत्तर प्रदेश Poem
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-  स्तुति राजीव