उत्तर प्रदेश
रचयित्री - स्तुति राजीव
4000 वर्षों से भी अधिक के भव्य इतिहास से सजा उत्तर प्रदेश भारतीय संस्कृति का, भारतीयता का केंद्र है।
विश्व को गीता, महाभारत व रामायण जैसे उत्तम उपहार देने वाली भूमि, को कुछ पंक्तियों में संजोने का प्रयास है, स्तुति राजीव की यह कविता ।
पूरब में काशी के घाटों का पूर्वांचल हो,
या पश्चिम में श्रीकृष्ण की ब्रज भूमि का आँचल हो।
उत्तर का अद्वितीय प्राकर्तिक सौंदर्य हो,
या दक्षिण में बुंदेलखंड के वीरों का शौर्य हो।
उत्तर प्रदेश के ह्रदय में बसी अयोध्या हो,
या भोर का सूर्य अर्घ और बनारस की संध्या हो।
बात हो हम लखनऊ वालों की नज़ाकत की,
कनपुरिया मिज़ाज और पान के आदत की।
मथुरा की मनमोहक कृष्ण रासलीला हो,
या विश्व भर में प्रसिद्ध यहाँ की रामलीला हो।
हम वह हैं जो हर कोस पर पानी,
और हर ढाई को कोस पर बोली बदल लेते हैं।
इतनी विविधता में भी हम साथ होली खेल लेते हैं,
यूं ही थोड़ी ना हमें भारत का मेल कहते हैं।।2
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