झूँठा इतिहास
भारत के लोगों का गर्व यहाँ का महान, अद्वितीय और गौरवशाली इतिहास था, उसने ही यहाँ के लोगों को एक डोर में बाँध रखा था। इस ही एकता और समानता की भावना को नष्ट करने के प्रयास में, हमें हमारे इतिहास के सत्य से दूर किया गया।
फूट डालकर राज करने की नीति के विषय में तो अपने सुना ही होगा?
यह नीति सिर्फ अंग्रेज़ों ने ही नहीं अपनाई थी !! उनसे पहले आये आक्रमणकारियों ने भी, इतिहास के साक्ष्य मिटा, हमारे इतिहास को कल्पना बताया, लोगों का उसपर से विश्वास उठा दिया, और इस तरह जिस डोर में भारतवासी बंधे थे, वह टूट गयी, और लोग आपस में ही बँट गए। लोगों में एकता न होने के कारण यहाँ जो हुआ उससे आप अवगत ही हैं।
यह तो हो गयी वह बात जो हो चुकी, अब प्रश्न यह है कि, अब क्या करना है?
- पहले तो हमें यह जानना होगा कि ऐसी कौन-कौन सी बातें हैं जो हमें हमारे इतिहास के बारे में हमारी किताबों में नहीं पढाई गईं? झूठ एक किताब में लिखा जा सकता है, परन्तु सत्य के पदचिन्ह कहीं न कहीं तो मिल ही जातें हैं। यह जानना इसलिए आवश्यक है क्योंकि, हमारा महान इतिहास ही हमारा प्रेरणाश्रोत है, वही हम सबको एक दूसरे से जोड़ता है।
- दूसरा हमें समाज में भी इस विषय पर जागरूकता लानी होगी।
यदि इतिहास के कुछ असत्यों की बात करें तो वे निम्न हैं-
- राजा विक्रमादित्य भारतवर्ष के एक महान शाशक थे जिनकी ख्याति दूर-दूर तक थी ( विक्रम संवत नामक कैलेंडर, का प्रचलन उनहोंने ही शुरू किया था )। वे इस भूमि की शक्ति का प्रतीक थे इसलिए, तुर्कों ने अपने राज में जब इतिहास लिखवाया तो उनका नाम ही गायब कर दिया।
- महान योद्धा शिवाजी महाराज को कुछ समय पूर्व तक लुटेरा कहा गया था पन्नों में, परन्तु अब कुछ इतिहासकारों और लोगों के कारण अब इसमें परिवर्तन किया गया है। लेकिन अब भी हमें कहीं नहीं पढ़ाया जाता उनके कार्यों के बारे में। वे ही थे जिसने गोरिल्ला युद्ध नीति की खोज की थी।
- यूनानी इतिहासकारों नें भी "महान" सिकंदर, आर्य-आक्रमण, राजा पुरु (पोरस) की सिकंदर द्वारा पराजय, चन्द्रगुप्त मौर्या का यूनानी होना; ऐसे कई असत्य हमारे इतिहास में लिख दिए, जिससे वे अपने राजा सिकंदर की हार को छुपा सकें और आर्य-द्रविड़ के नाम पर लोगों में फूट डाल सकें। यदि आप खोज करें तो पाएंगे कि आर्य आक्रमण जैसा तो कुछ हुआ ही नहीं।
- महाभारत, रामायण, जल-प्रलय कथा के मनु यह ऐसी ऐतिहासिक चीज़ें हैं जिनपर पूरा भारत एकमत था, इसलिए इन्हें "माइथोलॉजी" कह, इनसे दूर कर लोगों को एक-दूसरे से दूर किया गया।
- महान सिख साम्राज्य, जिसने कई-कई बार तुर्कों को भगा दिया था, उसके बारे में हमें नहीं बताया गया।
- अंग्रेज़ों नें ऐसी शिक्षा नीति "एजुकेशन पॉलिसी" बनाई जिससे यहाँ के लोग अपनी संस्कृति को पिछड़ा और अविकसित समझें, उसका अनुसरण न करें, इस प्रकार "वेस्टर्न" संस्कृति की ओर आकर्षित हो अपनी जड़ों से दूर हो जाएं। इस पॉलिसी का परिणाम आज हमारे सामने है।
झूँठा इतिहास
कायरों ने लिख इतिहास झूँठा,
हमारे समाज को तोड़ा है।
जिन बातों का कोई तुक नहीं,
ऐसे असत्य से हमको जोड़ा है।।
गोरिल्ला युद्ध के खोजकर्ता,
शिवाजी को लुटेरा बता गये।
गौरव नष्ट करने के लिये,
हमारा इतिहास ही मिटा गये।।
राजा विक्रमादित्य को भी,
इतिहास से काटना षड़यंत्र था।
तुर्कों को महान बतलाकर,
सत्ता में आना उनका मंत्र था।।
प्रश्न उनसे, जो जल प्रलय कथा में,
मनु को मित्थ्या कहते हैं।
क्यों मिस्र, यूनान, दक्षिण अमरीका,
की गाथाओं में भी मनु रहते हैं?
इतिहास में झूँठ गढ़ने में
बहुतों का योगदान है।
गरीब व अविकसित पहले थे,
यह भी हमारा ही अज्ञान है।।
फूट डालकर राज किया,
गुलामी हमपर बीती थी।
क्योंकि धर्म से विमुख कर,
जातियों में बाँटना उनकी राजनीति थी।।
अरे इसकी क्या बात कहूं?
यह खेल तो आज भी चलता है।
पर भारत का बच्चा नहीं जानता,
सच्ची कथा यह खलता है।।
वो जान गये थे हमारी एकता का,
रहस्य यहाँ के धर्म–ग्रन्थ हैं।
एक-एक कर सबको "माइथोलॉजी" कहा,
अब किताबों में हम सिर्फ परतन्त्र हैं।।
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आर्य-द्रविण में भेदना भी चाल थी।
तोड़ दिया चालाकी से,
जो एकता हमारी ढाल थी।।
हमारे अतीत के पाठों में,
न जाने किसकी किसकी गाथा है।
भारत के योद्धाओं को छोड़,
उनमें सबका इतिहास आता है।।
शेर को पिंजरे में रखा जाये तो,
शिकार करना भूल जाता है।
हम भी अपना गौरव भूल गये,
समझो दोनों बातों में क्या नाता है।।
शताब्दियों की गुलामी ने,
गर्व के साक्ष्य नष्ट किये।
मासूम भारतीय उन बातों में आ,
पूर्वज भूलकर पथ-भ्रष्ट हुये।।
रामायण और महाभारत को भी,
उन्होंने काल्पनिक बोला था।
अरे स्मरण कराओ नाम ज़रा,
किसने पानी पर पत्थर तोला था।।
मित्थ्या के इस कुचक्र ने,
न जाने कितने प्रपंच किये।
तेल खोजते समय समुद्र ने,
द्वारिका के भी अंश दिये।।
भारत को भ्रमित बताकर वे,
वास्को-डि-गामा को खोजकर्ता लिख गये।
देश के गद्दार थे वह जो,
चन्द टुकड़ों पर ही बिक गये।।
भारत को पराजित लिखा है,
कायर सिकंदर को विश्वविजेता बता।
यूनान के लेखकों ने पुरु को,
वीरता के पन्नों से दिया हटा।।
यूनानी लेखकों ने तो,
चन्द्रगुप्त के नाम भी खेल-खेले हैं।
उनके लिखे इस इतिहास में
और भी झूठ के मेले हैं।।
एक छुपाने के लिये दूसरा असत्य,
कड़ियों पर कड़ियाँ बिछा गये।
इतने से भी मय न भरा तब,
भारत को साहित्यहीन ही लिखा गये।।
कभी पढ़ा क्या किसी पाठ में,
सिख साम्राज्य के बारे में?
धूल चटाई कई-कई बार,
उन लुटेरों को अपने द्वारे में।।
हे महान आर्यावर्त की प्रजा,
अपनी संस्कृति पहचानो तुम।
तुम्हारा देश अविकसित नहीं,
यह सत्य भी जानो तुम।।
भारतीय इतिहास का,
पुनर्लेखन अनिवार्य है।
संसार भी पढ़े वह इतिहास,
जहाँ हर वासी सच्चा आर्य है।।
हम सभी का एक जागरूक देशवासी होने के नाते यह कर्तव्य है कि, समाज के मन बैठे अज्ञान के अन्धकार को दूर कर हम जागरूकता लाएं।
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