जय हो मानक हिन्दी
रचयित्री - स्तुति राजीव
जय हो जय हो मानक हिन्दी,
भारतवर्ष की रौनक हिन्दी।
सहस्त्रों वर्ष पुरानी हिन्दी,
संस्कृत से शुरू कहानी हिन्दी॥
हिन्दुस्तान की श्वास है हिन्दी,
जन-मन में जिसका वास वह हिन्दी।
जो रचा वही उच्चारे हिन्दी,
सबकी सुविधा विचारे हिन्दी॥
हिन्दी में कुछ मूक नहीं है,
जो बात कही दो टूक वही है।
सीमा बन्धन है तोड़ी हिन्दी,
वैश्विक चूनर है ओढ़ी हिन्दी॥
सर्वाधिक व्यवस्थित वर्णमाला हिन्दी,
आर्यावर्त की कण्ठमाला हिन्दी।
हर भाव व्यक्त करने के लिये जहाँ,
सैकड़ों शब्द विद्यमान वह हिन्दी॥
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जैसे समुद्र में नदियां आती हैं।
स्पष्ट जिसका उच्चारण वह हिन्दी,
सिर्फ भाषा नहीं आचरण है हिन्दी॥
भाषा है व्यवहारिक हिन्दी,
हमारे विचारों की अंशभारिक हिन्दी।
प्रयोग दृष्टि से समृद्ध है हिन्दी,
देवनागरी में लिपिबद्ध है हिन्दी॥
हम भी हिंदी तुम भी हिन्दी,
हर हिन्दी का अभिमान है हिन्दी।
यहाँ जल और वायु भी हिन्दी,
है धरा और आसमान भी हिन्दी॥
बोलियों में तीर्थयात्रा हिन्दी,
वाक्य शब्द पाई-मात्रा हिन्दी।
ध्वनी श्रेष्ठ ॐ है हिन्दी,
पर्याय और विलोम है हिन्दी॥
विशाल साहित्य का पर्व है हिन्दी,
जिस मुख विराजे उसका गर्व है हिन्दी।
मीरा के भजन, तुलसीदास हैं हिन्दी,
रहीम और कबीरदास भी हिन्दी॥
5 उपभाषा, 16 बोलियों में फैली हिन्दी,
सुगम, सरल और लचीली हिन्दी।
जय हो जय हो मानक हिन्दी,
भारतवर्ष की रौनक हिन्दी॥
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जय हिन्दी!
ReplyDeleteजय जय हिन्दी!!
हिन्दी मात्र भाषा नहीं है।
हिन्दी मातृभाषा है।।