Monday, August 30, 2021

कविता - अनजाना इतिहास -Staires by Stuti Rajeev

अनजाना इतिहास

हमारे अथाह इतिहास में ऐसे बहुत से वीर हुए जिन्हें किताबों में जगह न मिली, कारण जो भी रहा हो, पर समय के बहाव में उनकी स्मृतियाँ कहीं पीछे ही छूट गयी। ऐसे कई बलिदानी हुए जिनके कर्मों का फल आज हम भोग रहे हैं पर दुर्भाग्यवश हमारे स्मरणों में वे कहीं नहीं हैं। यह अन्याय है उनके साथ, यह अपमान है उनके बलिदानों का। 

कुछ इसलिए खो गए क्योंकि किसी ने उन्हें लिखा नहीं, कुछ को लिखने नहीं दिया गया, कुछ का त्याग असत्य के पीछे छुपा रह गया, वहीँ कुछ ऐसे भी हैं जो दूसरों के बलिदानों का श्रेय लेकर अमर हो गए।

भारत के लोगों के लिए अतिआवश्यक है की वे जानें उनके असली नायक कौन थे?

अज्ञान से भी बुरा होता है अर्धज्ञान, जो लोग सत्ता में थे उन्होंने अपने अनुसार लिखा हमारा इतिहास पर हमको यह जानना होगा कि -

अनशन का अपना महत्व है परन्तु, आज़ादी किसी के देने से नहीं मिलती वह अपना और शत्रु का खून बहाकर छीनी जाती है। ऐसे वीर जिन्होंने न सिर्फ प्राण दिए अपितु अपना पूरा जीवन भी देश के नाम लिख दिया उनको इतिहास में उचित स्थान व हमारे मन में सम्मान का अधिकार है। देश का भविष्य रचने वाले युवा ही यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि पहले करी गयी गलतियां सुधारी जाएं ...

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बदलाव की क्रांति का आह्वान  करती स्तुति राजीव की यह पंक्तियाँ

अनजाना इतिहास

फुरसत मिले कभी अगर,

खोजना इतिहास के उन हीरों को।

न कागज़ में स्थान मिला,

समय भी भूल गया उन वीरों को।।


न्योछावर कर लहू की हर बूँद, 

जानो जो माँ की गोद में सोते हैं।

क्योंकि जो भूलते इतिहास,

वह भविष्य भी खोते हैं।।


मन में त्याग, भाव निःस्वार्थ,

वो बलिदानी कर गये परमार्थ।

फिर भी यह प्राचीन कथा,

क्यों लिख न सकी उनकी व्यथा?


सम्बन्ध, मोह, और बंधन,

सुख-सुविधा, प्राण भी छोड़ गये।

बीते समय को ऐसे बदला,

कि स्थितियाँ सारी मोड़ गये।।


इस पूर्वकथा में छेद बहुत हैं,

महान व्यक्तित्व रिस जाते हैं।

चाटुकारिता कर श्रेय लिये,

यहाँ लोग पन्नों में इतराते हैं।।


यहाँ ऐसे भी वीर हुये जिन्होंने, 

अंतिम साँस तक हार न मानी थी।

ऐसे बालक भी थे, वृद्ध भी थे, 

और बहुतों की भरी जवानी थी।।


पर इन किताबों ने तो,

गुणगान उनके गाये हैं।

जो प्रशंसा के लोभ में,

देश भी बाँटकर खाये हैं।।


बताओ किसने ऐसा ढोंग रचा,

क्यों पन्नों में बस स्वांग बचा?

विराट इतिहास को जानो तुम।

वो गर्व के पात्र पहचानो तुम।।

यदि आपको कविता पसंद आई है, तो कृपया ब्लॉग का अनुसरण करना न भूलें और नीचे टिप्पणी में अपनी समीक्षा दें।

देश के बटवारे के दुःख का स्मरण कराती कविता - विभाजन विभीषिका 

स्टेयर्स पर आने के लिए धन्यवाद  

-  स्तुति राजीव



4 comments:

  1. ����������

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  2. Really...aaj ki generation ko sab veeron aur kraantikariyon ki vishay mein batana cbahiye...kyun ye gyaan kitabo mein nhi milta...ye gyaan unhe milna ati avashyak h👍🏻

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  3. BTW...beautiful lines...

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