Monday, August 23, 2021

कविता - विभाजन विभीषिका -Staires by Stuti Rajeev

विभाजन विभीषिका

रचयित्री - स्तुति राजीव 

Poem on Partion Horrors

 कहीं न कहीं हम स्वतंत्रता के इतने आदी हो गये हैं कि, हमें यह बहुत आम बात लगती है।

स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ता भारत कहीं यह भूल तो नहीं रहा कि हमने यह स्वतंत्रता कितनों के बलिदान के बाद पायी है?

उन बलिदानों को याद करना व सदा ही सबको याद दिलाते रहना जिनके कारण हमें यह स्वतंत्रता का उत्सव मनाने का अवसर प्राप्त हो रहा है, ताकि आने वाला समय कहीं यह भूल न जाये कि इस भूमि की आज़ादी के लिये लोगों ने रक्त का मोल चुकाया है।

ऐसे ही अनेकों बलिदानों में से एक है 14 अगस्त 1947 को हुआ विभाजन!!

यह भयानक विभाजन इस भूमि को 3 टुकड़ों में बाँट गया।

लाखों लोगों को उनके पूर्वजों की स्मृतियों से अलग किया गया, कितनों के प्राण लिये, बालकों को अनाथ किया।       ( This post was Tweeted )

स्वतंत्रता सेनानियों के वर्षों के संघर्ष को आहत किया।।

मैं स्तुति राजीव अपनी इन पंक्तियों से विभाजन की उस भयानक पीड़ा को पुनः आज सबको स्मरण करने का प्रयास करती हूँ।

यह कविता YouTube पर भी उपलब्ध है 
Vibhajan Vibhishika, Partion Horrorors 1947


कविता - विभाजन विभीषिका 

यह पंक्तियाँ उनके नाम,

जो इस ही देश का किस्सा थे।  

स्तुति कहती है वह कहानी,

जिसका मिल्खा भी हिस्सा थे। 


याद करो वह भगदड़,

आज यह अनुरोध है।

कथा उस पीड़ा की है,

जो स्वयं मानवता का विरोध है।।


अगस्त का नाम सुन मन में,

स्वतंत्रता की लहर छा जाती है।

मत भूलो कि इस सवेरे से पहले,

अमावस सी काली उदासी है।।


लाखों का हुआ था पलायन, 

कितने ही बेघर हुये थे।

अनाथ हुए बालक अनजान,

कितनों ने प्राण खोये थे।।


जो खोज रहे थे आज़ादी,

वह स्वयं ही दर-दर भटके थे।

किसी की नैया पार हुई,

कुछ मझधार में ही अटके थे।।


यह दिन नहीं सिर्फ ध्वजारोहण का,

उनके नाम भी करना पुष्पारोपण।

जो जले थे विभाजन की आग में,

यह भूमि थी बँटवारे के दाग में।।


स्वतंत्रता एक उल्लास है,

उत्सव मनाते रहना।

विभाजन के नाम कुछ गम रहे,

अंत में यही है आपसे कहना।।


वन्दे मातरम् के नारे हों, 

देश भक्ति में तुम झूमना।

भारत माता के जयकारे हों,  

पर बँटवारे को नहीं भूलना।। 

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-  स्तुति राजीव





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