नव भारत निर्माण
स्तुति राजीव द्वारा रचित...
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महान भूत को भुलाये,
था वर्तमान सो रहा।
मगर संतोष है कि,
अब नव-निर्माण हो रहा।।
मगर संतोष है कि,
अब नव-निर्माण हो रहा।।
समय के काले भँवर में,
था पूर्वजों का गर्व खो रहा।
अब इतिहास के धागे में ,
भारत नये मोती पिरो रहा।।
महामारी के काल में भी,
राष्ट्र की दृढ़ता अखण्ड थी।
जब अन्य क्षीण हो रहे थे,
तब भी तत्परता प्रचण्ड थी।।
संसार है चकित कि,
कैसे ये संभव हो रहा?
क्यों आर्यावर्त के समक्ष,
सर्व-शक्तिशाली भी तेज खो रहा।।
वसुधैव कुटुंबकम्,
ये वसुधा एक परिवार है |
वेदों के मंत्र लिये साथ,
भारत है आगे चल रहा।।
कारण यही कि टीके को ब्राज़ील ,
सञ्जीवनी सम कह रहा।
धन्यवाद में तभी तो,
आञ्जनेय चित्र दे रहा।।
देख रहा है विश्व सारा,
कैसे भारत बढ़ रहा।
प्रत्येक पद-चाप संग,
नव इतिहास गढ़ रहा।।
समय के शंखनाद का ,
संसार साक्षी बन रहा।
सुनो उद्घोष इस वर्तमान का,
अब नव निर्माण हो रहा।।
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स्टेयर्स पर आने के लिए धन्यवाद ।
Ati sundar prastuti..
ReplyDeleteअति सुंदर कविता
ReplyDeleteAti sundar rachna hai..
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना 👌
ReplyDeleteबहुत सुंदर तथा प्रेरणादायक रचना...
ReplyDeleteराजीव भाई आपकी रचना बहुत सुंदर तथा प्रेरणादायक है.. ..
ReplyDeleteVery nice🙏🏻👍
ReplyDeleteVery nice 👌👌🇮🇳🇮🇳🚩🚩
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteYe anusaran ka kya matlab hai
ReplyDeleteभाई english में follow करना होता है।
Delete🙏🙏
Delete👍👌👌
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