अमर शहीद
रचयित्री - स्तुति राजीव
भारत वर्ष की इस भूमि का जितना महिमा गान किया जाए, वह कम है।(एक भारत–श्रेष्ठ भारत)
इस देश के कण कण में अद्वितीय सौंदर्य है।( नव भारत निर्माण )
भारत वर्ष ने परतंत्रता का समय भी देखा है। उन बेड़ियों से भारत माँ को आज़ाद करने के लिए अनेकों सेनानियों ने बलिदान दिया है। आर्यावर्त (भारत) का सुखद वर्तमान संभव हुआ है उन देशभक्तों के जस्बे के कारन। उन वीरों और वीरांगनाओं को नमन करते हुए स्तुति राजीव की कुछ पंक्तियाँ निम्न लिखित हैं -
हे आज़ाद भारत के सपूतों!!
15 अगस्त सिर्फ एक दिन नहीं!
जान लो तुम भी कि क्यों?
संभव यह उन वीरों के बिन नहीं!!
यह दिन लक्ष्मीबाई की
प्रथम आहूति का फल है।
यह दिन उस वीरांगना की
भुजाओं का अतुल्य बल है।।
मंगल पाण्डे ने उस कारतूस को
मुँह लगाने से नकारा था।
नमन है उस माँ को
जिसका वो दुलारा था।।
यह स्वतंत्रता आज़ाद की
मूछों का ताव है।
परतंत्रता पर जो हुआ था
जनेऊधारी वह घाव है।।
देखो नभ पर लहराती
क्या कह रही राष्ट्र पताका।
यह दिन भगत सिंह का
उस असेंबली में किया धमाका।।
यह दिन सुखदेव के
संघर्ष की कतार है।
सुभाष चंद्र बोस का
परामर्श और विचार है।।
फाँसी चढ़े खुदीराम के
वन्दे मातरम का प्रतिनाद है।
यह उन अमर जवानों के
अमूल्य त्याग का संवाद है।।
वो वीर जिन्होंने माना कि
हर एक का दुःख अपना है।
यह दिन ऐसे महात्माओं का
साकार हुआ एक सपना है।।
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