Friday, July 30, 2021

कविता - एक भारत–श्रेष्ठ भारत -Staires by Stuti Rajeev

एक भारतश्रेष्ठ भारत

स्तुति राजीव द्वारा रचित...

एक भारत–श्रेष्ठ भारत by Stuti Rajeev

 
सरदार वल्लभाई पटेल जी का सपना था अखंड भारत, उन्होंने अपने इस स्वप्न को साकार करने के अथक प्रयास किये। इन्ही प्रयासों को नमन करते हुए उनके 140वें जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा एक भारत श्रेष्ठ भारत की पहल की गयी, जिसके अंतर्गत विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संस्कृति, परंपराओं और प्रथाओं के ज्ञान से राज्यों के बीच समझ और बंधन बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं, और भारत की एकता और अखंडता दृण हो रही है। 
इस ही विषय पर  स्तुति राजीव की पंक्तियाँ निम्न हैं  |

मान रहा विश्व सारा,

लोहा तिरंगे की उड़ान का।

तुम भी समझो क्या है कारण,

भारत के कीर्तिमान का।।

 

काराकोरम से कन्याकुमारी तक,

माटी चन्दन समान है।

त्रिपुरा से द्वारिका तक,

श्रद्धा ही विद्यमान है।

 

वीरों की भूमि यह,

गिरिराज सिर धारे है।

नदीश्वरी का पावन आँचल

स्वयं महासागर पाँव पखारे है।।


 भारत की भूमि यह,
यहाँ स्वर्ग सम कश्मीर है। 

गुरुग्रन्थ का आशीष है,

यहाँ गंगा का नीर है।।

 

अभिमन्यु की है भूमि  ये,

यहाँ जन्मे श्री राम हैं।

सीमा के पद-चाप सुनो,

जवान तत्पर अविराम हैं।।


भारत की भूमि पर,

भरत सा त्याग है।

जप रहा जिन्हें विश्व सारा,

यहाँ उन मंत्रों का राग है।।

 

विविधता में एकता ही,

आर्यावर्त का गर्व है।

प्रतिदिन मनाते हैं जो,

वह अखण्डता का पर्व है।।

 

सुनो स्वदेश कीर्तिगान तुम,

यहाँ संस्कृति कर्म-प्रधान है।

राणा, शिवा से वीर हैं,

गुरु तेग सा बलिदान है।।

 

तुम संतान उस  देश की,

जहाँ धरा भी  पूजनीय है।

करो गर्व अपने जन्म पर,

यहाँ सरिता भी वंदनीय है।।

 

वेदों का मार्दर्शन है,

गीता का ज्ञान है।

अरे! समझ कर तो देखो तुम,

हर रीत में विज्ञान है।।

 

जब ईशस्तुतिहो,

तब गुरु का प्रथम स्थान है।

कितने ही गुणगान करुँ मैं ?

यहाँ गौ भी मात समान है।।

 

विश्वगुरु के पथ पर निरन्तर,

भारतवर्ष  गतिमान है।

एक भारतश्रेष्ठ भारत,

तुम्हे  बारम्बार  प्रणाम है।।

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Ek Bharat Shreshtha Bharat
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-  स्तुति राजीव

Deshbhakti kavita


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